Sunday, 27 September 2015

[ ::: ♥Keep_Mailing♥ ::: ]™ दूसरों के दोष


जब तुम दूसरों के दोष देखोगे तो दूसरों के दोष को बड़ा करके देखने की मन की आकांक्षा होती है। इससे ज्यादा रस और कुछ भी नहीं मिलता कि दूसरे तुमसे ज्यादा पापी हैं, तुमसे ज्यादा बुरे हैं, तुमसे ज्यादा अंधकारपूर्ण हैं। इससे अहंकार को बड़ी तृप्ति मिलती है कि मैं बिलकुल ठीक हूं, दूसरे गलत हैं। बिना ठीक हुए अगर तुम ठीक होने का मजा लेना चाहते हो, तो दूसरों के दोष गिनना।

--- ओशो

--
You received this message because you are subscribed to the Google Groups "Keep_Mailing" group.
To unsubscribe from this group and stop receiving emails from it, send an email to keep_mailing+unsubscribe@googlegroups.com.
To post to this group, send email to keep_mailing@googlegroups.com.
Visit this group at http://groups.google.com/group/keep_mailing.
To view this discussion on the web visit https://groups.google.com/d/msgid/keep_mailing/CAEG2kQ093FjQoLET-%2B-QcCQPmOUh4%2Bx9%2BQd5mTzn20JDSO8eDg%40mail.gmail.com.
For more options, visit https://groups.google.com/d/optout.

No comments:

Post a Comment