Wednesday, 17 August 2016

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*सुखी रहने का तरीका*
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      *एक बार की बात है संत तुकाराम अपने आश्रम में बैठे हुए थे।
 तभी उनका एक शिष्य, जो स्वाभाव से थोड़ा क्रोधी था
 उनके समक्ष आया और बोला-*

*गुरूजी, आप कैसे अपना व्यवहार इतना मधुर बनाये रहते हैं,
 ना आप किसी पे क्रोध करते हैं और ना ही किसी को कुछ 
भला-बुरा कहते हैं? 
कृपया अपने इस अच्छे व्यवहार का रहस्य बताइए?*

*संत बोले- 
मुझे अपने रहस्य के बारे में तो नहीं पता, 
पर मैं तुम्हारा रहस्य जानता हूँ !*

*"मेरा रहस्य! वह क्या है गुरु जी?" 
शिष्य ने आश्चर्य से पूछा।*

*"तुम अगले एक हफ्ते में मरने वाले हो!" 
संत तुकाराम दुखी होते हुए बोले।*

*कोई और कहता तो शिष्य ये बात मजाक में टाल सकता था,
 पर स्वयं संत तुकाराम के मुख से निकली बात को 
कोई कैसे काट सकता था?*

*शिष्य उदास हो गया और गुरु का आशीर्वाद ले
 वहां से चला गया।*

*उस समय से शिष्य का स्वभाव बिलकुल बदल सा गया। 
वह हर किसी से प्रेम से मिलता और कभी किसी पे क्रोध न करता,
 अपना ज्यादातर समय ध्यान और पूजा में लगाता। 
वह उनके पास भी जाता जिससे उसने कभी गलत व्यवहार
 किया था और उनसे माफ़ी मांगता। 
देखते-देखते संत की भविष्यवाणी को एक हफ्ते पूरे होने को आये।*

*शिष्य ने सोचा चलो एक आखिरी बार गुरु के दर्शन कर
 आशीर्वाद ले लेते हैं। 
वह उनके समक्ष पहुंचा और बोला-*

*गुरुजी, मेरा समय पूरा होने वाला है, 
कृपया मुझे आशीर्वाद दीजिये!"*

*"मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है पुत्र। 
अच्छा, ये बताओ कि पिछले सात दिन कैसे बीते?
 क्या तुम पहले की तरह ही लोगों से नाराज हुए,
 उन्हें अपशब्द कहे?"*
*संत तुकाराम ने प्रश्न किया।*

*"नहीं-नहीं, बिलकुल नहीं। 
मेरे पास जीने के लिए सिर्फ सात दिन थे, 
मैं इसे बेकार की बातों में कैसे गँवा सकता था?*
*मैं तो सबसे प्रेम से मिला, और जिन लोगों का कभी दिल 
दुखाया था उनसे क्षमा भी मांगी" शिष्य तत्परता से बोला।*

*"संत तुकाराम मुस्कुराए और बोले, 
"बस यही तो मेरे अच्छे व्यवहार का रहस्य है।"*
*"मैं जानता हूँ कि मैं कभी भी मर सकता हूँ, 
इसलिए मैं हर किसी से प्रेमपूर्ण व्यवहार करता हूँ,
 और यही मेरे अच्छे व्यवहार का रहस्य है।*

*शिष्य समझ गया कि संत तुकाराम ने उसे जीवन का 
यह पाठ पढ़ाने के लिए ही मृत्यु का भय दिखाया था ।*

*वास्तव में हमारे पास भी सात दिन ही बचें हैं :-*

*रवि, सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि, 
आठवां दिन तो बना ही नहीं है ।*

👏👏�  *"आइये आज से परिवर्तन आरम्भ करें।"* 👏�👏


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